श्री नायडू ने महिलाओं और पुरुषों में भेदभाव किये जाने की घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए समाज में लोगों के व्यवहार एवं नजरिये में बदलाव लाकर इस पर अंकुश लगाने की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
श्री नायडू ने आज नई दिल्ली में अपने आवास पर चाणक्यपुरी स्थित कार्मेल कॉन्वेंट स्कूल की छात्राओं से संवाद करते हुए कहा कि किसी लड़की को शिक्षित करना एक पूरे परिवार को शिक्षित करने के समान है, जबकि एक आदमी को शिक्षित करना सिर्फ एक व्यक्ति को शिक्षित करने के समान है।
उपराष्ट्रपति ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि शिक्षा की अहमियत न केवल रोजगार, बल्कि सशक्तिकरण और ज्ञानोदय से भी जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना का लक्ष्य बालिकाओं का सशक्तिकरण करना है।
श्री नायडू ने कहा कि शिक्षा निश्चित रूप से ऐसी होनी चाहिए जो नागरिकों को आदर्श एवं जिम्मेदार बनाए और इसके साथ ही देश के नागरिकों का दृष्टिकोण राष्ट्रीय स्तर का होना चाहिए। यही नहीं, देश के नागरिकों को सामाजिक रूप से कर्तव्यनिष्ठ भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह अत्यंत आवश्यक है कि देश के युवा भारत की सांस्कृतिक विरासत, परम्पराओं एवं इतिहास और राष्ट्रीय महानुभावों एवं स्वतंत्रता सेनानियों की भूमिका तथा समाज सुधारकों के अमूल्य योगदान से भलीभांति अवगत हों।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि सिर्फ भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण करना ही राष्ट्रवाद नहीं है, बल्कि देश के हितों को सबसे ऊपर रखना और साथी नागरिकों के हितों का ख्याल रखना ही राष्ट्रवाद है।
श्री नायडू ने सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा की अहमियत को रेखांकित किया और इसके साथ ही कहा कि लोगों को 4 'सी' यथा कैरेक्टर (चरित्र), कंडक्ट (आचरण), कैपेसिटी (क्षमता) और कैलिबर (काबिलियत) के आधार पर ही अपने-अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने लोगों को 4 अन्य 'सी' यथा कैश (नकदी), कास्ट (जाति), कम्युनिटी (समुदाय) और क्रिमनलिटी (आपराधिकता) को महत्व देने के प्रयासों के खिलाफ आगाह किया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था विकास के मोर्चे पर अच्छा प्रदर्शन कर रही है और विश्व भर में भारत को सम्मान दिया जा रहा है तथा पूरी दुनिया में भारत की विशिष्ट पहचान है। उन्होंने कहा कि कई विदेशी कंपनियां भारत में निवेश करने की इच्छुक हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विशेष मंत्र 'सुधार, प्रदर्शन एवं रूपांतरण' का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने युवा विद्यार्थियों को एक 'नये भारत' का निर्माण करने के लिए परिवर्तन का हिस्सा बनने की सलाह दी।
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