Sunday, May 18, 2025

खस

खस एक बारहमासी कम सिंचित जमीन पर उगने वाली घास है । प्राचीन काल में बंजर भूमि और खेतों की मेंड़ और बंधों मे लगायी जाती थी। एक बार लगा देने के बाद सालों साल उगती रहती थी। जिसकी अब खेती इत्र में इस्तेमाल होने वाले व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण आवश्यक तेल के उत्पादन के लिए की जाती है। खस में सुगंधित तेल इसकी जडों में होता है। ऊपर की हरी घास सूख जाने पर जमीन अंदर जड़ें सुरक्षित रहती है। इन्ही से आसवन विधि से सुगंधित तेल निकाला जाता है।
खस में ठंडक देने वाले गुण होते हैं और इसका उपयोग गर्मियों के दौरान शर्बत या स्वादिष्ट पेय तैयार करने के लिए किया जाता है। यह जड़ी बूटी ओमेगा फैटी एसिड, विटामिन, प्रोटीन, खनिज और आहार फाइबर का एक अच्छा स्रोत है।


आयुर्वेद में ये माना जाता है कि शरीर में पित्त की मात्रा अधिक हो जाने के कारण मुँह में छाले होते हैं। जैसा कि पहले बताया गया है कि खस का तासीर या प्रभाव ठंडा होने के कारण मुँह के छालो से राहत पाने में ये मदद करता है।
आमतौर पर खस तेल का इस्तेमाल दर्द से राहत पाने के लिए किया जाता है क्योंकि इसका एन्टी-इंफ्लैमटोरी गुण मांसपेशियों के सूजन को कम करने में सहायता करता है और हड्डियों को मजबूत करता है।आमतौर पर खस तेल का इस्तेमाल दर्द से राहत पाने के लिए किया जाता है क्योंकि इसका एन्टी-इंफ्लैमटोरी गुण मांसपेशियों के सूजन को कम करने में सहायता करता है और हड्डियों को मजबूत करता है।
आग से जलने पर आप पानी से जलने वाली जगह को धोते हैं लेकिन जलन से आपका हाल बेहाल रहते है और जलन कम नहीं होती,उस वक्त खस घास आपको जलन से राहत दिलायेगा। क्योंकि खस का जीवाणुरोधी और ठंडक देनेवाला गुण उस वक्त रामबाण जैसा काम करता है। नारियल तेल में खस को मिलाकर प्रभावित जगह पर लगायें इससे जलन और दर्द कम हो जायेगा।
अगर आपको नींद न आने या अनिद्रा की बीमारी है और नैचुरल तरीके आप इससे राहत पाना चाहते हैं तो खस के सेवन से आपको मदद मिलेगी। क्योंकि खस में जो यौगिक होते हैं वह न्यूरोट्रांसमीटर के उत्पादन में सहायक होते हैं जिससे मस्तिष्क को बेहतर तरीके से काम करने में मदद मिलती है। और इसी से नींद न आने की समस्या कम होती है।
सोने के पहले नहाने के पानी में 5-10 बूंद खस का तेल डालकर नहाना चाहिए। इससे शरीर को ठंडक मिलती है। खस का महक मन और शरीर को शांत करने में मदद करता है। यानि इसका महक और ठंडक का एहसास नींद आने में मदद करती है।
जैसे अनिद्रा के बीमारी में खस काम करता है ठीक उसी तरह न्यूरोट्रांसमीटर के उत्पादन के कारण ये मस्तिष्क को कार्य को सुचारू रूप से काम करने में मदद करता है और डिप्रेशन और स्ट्रेस को कम करता है।
खस ग्रास का ठंडा तासिर और उसका एन्टीबैक्टिरीयल गुण फीवर को कम करने या राहत दिलाने में मदद करता है।
खाना खाने के बाद 1-2 ग्राम खस का चूर्ण शहद या पानी के साथ ले सकते हैं।
खस में मिनरल जैसे कैल्शियम होता है जो बालों का झड़ना कम करके नए बाल उगाने में मदद करते हैं। खस के इस्तेमाल से बाल चमकदार और हेल्दी बनते हैं।
नारियल तेल में खस डालकर उसको अच्छी तरह से तेल में मिला लें। उसके बाद स्कैल्प में लगायें। बेहतर परिणाम के लिए इसको हफ़्ते में तीन बार इस्तेमाल कर सकते हैं।
खस का एन्टीऑक्सिडेंट, एन्टी-इंफ्लैमटोरी गुण और उच्च मात्रा में लिनोलेनिक एसिड त्वचा के संक्रमण से राहत दिलाने मददगार साबित होता है। अगर स्किन इंफेक्शन का प्रॉब्लम है तो खस का इस्तेमाल करने से त्वचा के स्थिति में सुधार आता है। साथ ही साथ त्वचा में एक अलग चमक आती है। अगर आपके त्वचा में किसी प्रकार का छोटा-मोटा जख़्म हुआ है तो वहां भी खस लगाने से राहत मिल सकती है।
अगर आपकी त्वचा संवेदनशील है तो खस रूट पाउडर का इस्तेमाल शहद या दूध के साथ करें। इसके बेहतर परिणाम के लिए इसका त्वचा पर इस्तेमाल दिन में एक बार या हफ़्ते में तीन बार कर सकते हैं।
अगर त्वचा में किसी तरह का घाव या छोटा-मोटा जख़्म हुआ है तो नारियल तेल के साथ खस मिलाकर लगाने से जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है।
खस का प्रभाव ठंडा होने के कारण इसका सेवन गर्मी के मौसम में करना ही फायदेमंद होता है। सर्दी के मौसम या मानसून में खस के सेवन से बचना चाहिए । गरमी के दिनों में खस से शरबत बनाया जाता है जिससे शरीर को ठंडक मिलती है।
आयुर्वेद के अनुसार खस के गुण -
खस का रस मीठा, कडुवा, तिखा, गुण में रूखा होता है।इसकी प्रकृति शीतल होती है। खस के प्रयोग से शरीर की जलन व प्यास शांत होती है। बुखार होने, उल्टी आने, खून की खराबी, दस्त रोग, हृदय के रोग, त्वचा रोग एवं बच्चों के रोग आदि को दूर करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
मात्रा: इसके जड़ का चूर्ण 2 से 6 ग्राम की मात्रा में और रस 10 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में प्रयोग किया जाता है।
खस से विभिन्न रोगों का घरेलु उपचार -
जलन: शरीर के किसी भी भाग में जलन होने पर सफेद चन्दन और खस की जड़ को बराबर मात्रा लेकर पीस लें और तैयार लेप को जलन वाले भाग पर लगाएं। इससे जलन शांत होती है। इसका प्रयोग आग से जल जाने पर भी किया जाता है।
बुखार(fever): खस की जड़ का काढ़ा बनाकर 4-4 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार पीने से बुखार ठीक होता है। इसके सेवन से अधिक पसीना आता है और पसीने के साथ बुखार भी ठीक हो जाता है।
बच्चों का दस्त(loosemotions ): यदि बच्चे को बार-बार दस्त आ रहा हो तो खस के चूर्ण और मिश्री बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और आधा चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन कराएं। इससे दस्त रोग ठीक होता है।
त्वचा रोग :गर्मी के मौसम में होने वाले त्वचा रोगों में खस का शर्बत बनाकर रोजाना पीना चाहिए। इससे त्वचा रोग ठीक होता है। यह इन्फैक्शन (संक्रमण) से होने वाले त्वचा रोग और बच्चों के त्वचा पर होने वाले फोड़े-फुन्सियां भी ठीक होती है।
पसीना अधिक आना : खस की जड़, कमल के पत्ते और लोध्र की छाल को बराबर मात्रा में लें और पीसकर लेप बना लें। इस लेप को शरीर पर मलने से गर्मी के दिनों में अधिक पसीना आना कम होता है।
घमौरियां: 20 ग्राम खस को पानी के साथ पीसकर त्वचा पर लगाने से और 2 चम्मच खस का शर्बत 1 कप पानी में मिलाकर दिन में 2-3 बार पीने से घमौरियां नष्ट होती है।
साइटिका (sciatica): साइटिका के दर्द से पीड़ित रोगी को खस का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से साइटिका का दर्द में आराम मिलता है। सिर्फ गर्मी के मौसम में
गले का दर्द(throat pain) : खस का काढ़ा बनाकर गरारे करने से गले का दर्द समाप्त होता है और आवाज भी साफ होता है।
सिर की रूसी : खस को दूध या पानी में मिलाकर बालों में मालिश करने से रूसी कम होती है।
चोट :• चोट लगने, मोच आने, सूजन आने या कहीं छिल जाने पर खस का काढ़ा बनाकर उस स्थान को सेंकने से लाभ मिलता है। चोट या मोच के दर्द में खस के दाने को पीसकर लेप बनाकर लगाने से दर्द में आराम मिलता है।
घाव - यदि किसी को घाव हो गया हो तो खस, कुन्दरू का तेल और सफेद मोम को हल्के आग पर पिघलाकर व छानकर घाव पर लगाना चाहिए। इससे घाव जल्दी ठीक होता है। खस, लोहबान का तेल और सफेद मोम मिलाकर हल्की आग पर पिघलाकर मलहम बना लें और इस मलहम को घाव पर लगाएं। इससे घाव सूख जाते हैं।
छींके अधिक आना: यदि छींक अधिक आती हो तो 12 ग्राम खस को 120 मिलीलीटर पानी में मिलाकर उबलना चाहिए और उससे निकलने वाले भाप को नाक से अन्दर खींचना चाहिए। इससे छींक का अधिक आना बंद होता है।
पेट का दर्द : खस और पीपरा की जड़ को मिलाकर खाने से पेट का दर्द ठीक होता है।
त्वचा की देखभाल - खस का तेल त्वचा को मॉइस्चराइज करता है और डिहाइड्रेशन से बचाता है। यह त्वचा पर ठंडक और ताजगी प्रदान करता है।
तनाव कम करने के लिए - खस का तेल सुगंधित होता है और इसे अरोमाथेरेपी में उपयोग किया जाता है। यह मन को शांत करता है और अनिद्रा में मदद करता है।
शरीर को ठंडक प्रदान करना - खस की जड़ से बने पानी का उपयोग गर्मी के मौसम में शरीर को ठंडा रखने के लिए किया जाता है। इसे शरबत और पेय पदार्थों में मिलाया जाता है।
डाइजेशन सुधारने में मददगार - खस का सेवन पाचन को बेहतर करता है और पेट की समस्याओं में आराम देता है।
मूत्रवर्धक गुण - खस का उपयोग मूत्र संबंधी समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है।
तनाव और चिंता में कमी - खस के तेल में प्राकृतिक रूप से शांत करने वाले गुण होते हैं, जो तनाव, अवसाद और मानसिक थकान को कम करते हैं।
रक्त परिसंचरण में सुधार - खस का तेल शरीर के रक्त परिसंचरण को बढ़ाने में मदद करता है।
डिटॉक्सिफिकेशन - यह शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करने में मदद करता है।
शरीर की गंध को नियंत्रित करना -
खस के अर्क का उपयोग इत्र और डिओडरेंट में किया जाता है।
जलन और सूजन को कम करना - यह सूजन और खुजली को शांत करने के लिए उपयोगी है।
उपयोग के तरीके
1. खस की जड़ से पानी का अर्क निकालकर पेय पदार्थ तैयार किया जा सकता है।
2. खस के तेल को मालिश के लिए उपयोग किया जा सकता है।
3. अरोमाथेरेपी में इसे डिफ्यूजर में डालकर उपयोग किया जाता है।
ये पोस्ट सिर्फ जानकारी देती है खस का सेवन किसी आयुर्वेदिक वैद्य की सलाह से ही करें। खस का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।

Saturday, May 17, 2025

राजी हैं हम उसी में जिस में तेरी रजा है

 अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे,

तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे ॥


पतितो को पावन करते कृपानिधि,

पतितो को पावन करते कृपानिधि,


किए पाप है इस सुयश के सहारे,

किए पाप है इस सुयश के सहारे,


अगर नाथ देखोंगे अवगुण हमारे,

तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे ॥


हमारे लिए क्यों देर किए हो,

हमारे लिए क्यों देर किए हो,


गणिका अजामिल को पल भर मे तारे ,

गणिका अजामिल को पल भर मे तारे,


अगर नाथ देखोंगे अवगुण हमारे,

तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे ॥


माना अगम है अपावन कुटिल है,

माना अगम है अपावन कुटिल है,


सबकुछ है लेकिन है भगवन तुम्हारे,

सबकुछ है लेकिन है भगवन तुम्हारे,


अगर नाथ देखोंगे अवगुण हमारे,

तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे ॥


मन होगा निर्मल तुम्हारी कृपा से 

मन होगा निर्मल तुम्हारी कृपा से 

इसे शुद्ध करने मे राजेश हारे

अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे

तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे ॥

सारे जहाँ के मालिक तेरा ही आसरा है,

राजी हैं हम उसी में जिस में तेरी रजा है,

सारे जहाँ के मालिक तेरा ही आसरा है,


हम क्या बताएं तुमको सब कुछ तुझे खबर है,

हर हाल में हमारी तेरी तरफ नजर है,

किस्मत है वो हमारी जो तेरा फैंसला है,

राजी हैं हम उसी में जिस में तेरी रजा है,


हाथो को दुआ की खातिर मिलाएं केसे ,

सजदे में तेरे आकर सर को झुकाएं केसे,

मजबूरियां हमारी बस तू ही जानता है ,

राजी हैं हम उसी में जिस में तेरी रजा है,


रो करकहे या हंस कर कटती है जिंदगानी,

तू गम दे या ख़ुशी दे सब तेरी मेहेरबानी,

तेरी ख़ुशी समहजकर सब गम भुला दिया है,

राजी हैं हम उसी में जिस में तेरी रजा है,


दुनिया बना के मालिक जाने कहाँ छिपा है,

आता नहीं नजर तू बस इक यही गिला है,

भेजा इस जहाँ में जो तेरा शुक्रिया है ,

राजी हैं हम उसी में जिस में तेरी रजा है


सारे जहाँ के मालिक तेरा ही आसरा है

राजी हैं हम उसी में जिस में तेरी रजा है


Friday, May 16, 2025

कटेरी

 कटेरी के फायदों के बारे में बहुत कम जानकारी लोगों को पता है। लेकिन इस कंटीले पौधे के अनगिनत औषधीय गुणों के कारण कटेरी को कई बीमारियों के उपचार स्वरूप प्रयोग किया जाता है। चलिये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं-



★सिरदर्द में फायदेमंद कटेरी
अगर आपको काम के तनाव और भागदौड़ भरी जिंदगी के वजह से सिरदर्द की शिकायत रहती है तो कटेरी का घरेलू उपाय बहुत लाभकारी सिद्ध होता है।
-कटेरी का काढ़ा, गोखरू का काढ़ा तथा लाल धान के चावल से बने ज्वरनाशक पेय का थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दिन में तीन-चार बार सेवन करने से बुखार होने पर जो सिर दर्द होता उसमें आराम मिलता है।
-कटेरी के फल के रस को माथे पर लेप करने से सिर दर्द कम होता है।
★गंजापन करे दूर कटेरी
अक्सर किसी बीमारी के कारण बाल झड़कर गंजेपन की अवस्था आ गई है तो कटेरी का इलाज फायदेमंद साबित हो सकता है।
20-50 मिली कटेरी पत्ते के रस में थोड़ा शहद मिलाकर सिर में चंपी करने से इन्द्रलुप्त (गंजापन) में लाभ होता है।
श्वेत कंटकारी के 5-10 मिली फल के रस में मधु मिलाकर सिर में लगाने से इन्द्रलुप्त में लाभ होता है।
★रूसी या दारूणक रोग से दिलाये छुटकारा कटेरी
दिन भर बाहर धूल मिट्टी या धूप में काम करने पर अक्सर बालों में रूसी की समस्या हो जाती है। इससे निजात पाने के लिए कटेरी फल के रस में समान मात्रा में मिलाकर सिर में लगा सकते है।
★आँखों की बीमारी में फायदेमंद कटेरी
आँख संबंधी बीमारियों में बहुत कुछ आता है, जैसे- सामान्य आँख में दर्द, रतौंधी, आँख लाल होना आदि। इन सब तरह के समस्याओं में कटेरी से बना घरेलू नुस्ख़ा बहुत काम आता है। कटेरी के 20-30 ग्राम पत्तों को पीसकर उनकी लुगदी बनाकर आंखों पर बांधने से (आंखों का दर्द ) दर्द कम होता है।
★जुकाम से दिलाये राहत कटेरी
मौसम के बदलने पर नजला, जुकाम व बुखार हो जाता है, उसमें पित्तपापड़ा, गिलोय और छोटी कटेरी सबको समान मात्रा में (20 ग्राम) लेकर आधा लीटर पानी में पकाकर एक चौथाई भाग का काढ़ा पिलाने से बहुत लाभ मिलता है।
★दांत दर्द में फायदेमंद कटेरी
दांत दर्द की परेशानी दूर करने में कटेरी मदद करती है। अगर दांत बहुत दुखती हो तो कटेरी के बीजों का धुआं लेने से तुरन्त आराम मिलता है। कटेरी की जड़ , छाल, पत्ते और फल लेकर उनका काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से भी दांतों का दर्द दूर होता है।
श्वेत कंटकारी के बीजों का धूम्रपान के रूप में प्रयोग करने से दाँतों का दर्द तथा दंतकृमि कम होता है।
★खाँसी से दिलाये राहत कटेरी
अगर मौसम के बदलाव के कारण खांसी से परेशान है और कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है तो बांस से इसका इलाज किया जा सकता है।
आधा से 1 ग्राम कटेरी के फूल के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर चटाने से बालकों की सब प्रकार की खांसी दूर होती है।
15-20 मिली पत्ते का रस या 20-30 मिली जड़ के काढ़े में 1 ग्राम छोटी पीपल चूर्ण एवं 250 मिग्रा सेंधानमक मिलाकर देने से खांसी में आराम मिलता है।
छोटी कटेरी के रस से पकाए हुए घी को 5-10 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से खाँसी में आराम मिलता है।
25 से 50 मिली कटेरी काढ़े में 1-2 ग्राम पिप्पली चूर्ण मिलाकर सेवन करने से खांसी से राहत मिलती है।
20-40 मिली कण्टकारी का काढ़े का सेवन करने से सांस संबंधी समस्या, खांसी तथा छाती के दर्द में लाभ होता है।
सफेद कंटकारी के 1-2 ग्राम फल चूर्ण में मक्खन मिलाकर सेवन करने से आराम मिलता है।
★अस्थमा के कष्ट से दिलाये आराम कटेरी
मौसम के बदलते ही दमा या अस्थमा के रोगी को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है लेकिन कटेरी का औषधीय गुण इस कष्ट से आराम दिलाने में लाभकारी होता है।
कटेरी की प्रसिद्धि कफ को नाश करने के सम्बन्ध में बहुत अधिक है। छाती का दर्द इत्यादि रोगों में इसका बहुत प्रयोग होता है। जब छाती में कफ भरा हुआ हो तब इसका 20-30 मिली काढ़ा देने से बहुत लाभ होता है। इसके फलों के 20-30 मिली काढ़े में 500 मिग्रा भुनी हुई हींग और 1 ग्राम सेंधा नमक डालकर पीने से जीर्ण अस्थमा में भी लाभ होता है।
कटेरी पञ्चाङ्ग को यवकुट कर आठ गुना पानी मिलाकर गाढ़ा होने तक पकाएं, गाढ़ा होने पर कांच की शीशी में रखें। इसमें 1 ग्राम मधु मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से आराम मिलता है।
छोटी कटेरी के 2-4 ग्राम कल्क में 500 मिग्रा हींग तथा 2 ग्राम मधु मिलाकर, सेवन करने से अस्थमा में लाभ होता है।
छोटी कटेरी की जड़, श्वेत जीरक और आंवला से बने चूर्णं (1-3 ग्राम) में, मधु मिलाकर प्रयोग करने से अस्थमा में लाभ होता है।
★उल्टी के परेशानी में फायदेमंद कटेरी
अगर मसालेदार खाना खाने या किसी बीमारी के साइड इफेक्ट के वजह से उल्टी हो रही है तो कटेरी का सेवन इस तरह से करने पर फायदा मिलता है।
10-20 मिली कटेरी के रस में 2 चम्मच मधु मिलाकर देने से उल्टी से राहत मिलती है।
अडूसा, गिलोय तथा छोटी कटेरी से बने काढ़े ठंडा होने पर उसमें मधु मिलाकर, 10-20 मिली की मात्रा में पीने से सूजन और खाँसी से आराम मिलता है।
★अग्निमांद्द या अपच से दिलाये छुटकारा कटेरी
अगर खान-पान में गड़बड़ी होने पर बदहजमी की समस्या हो रही है तो उसमें कटेरी का इस तरह से सेवन करने पर आराम मिलता है।
समान मात्रा में कटेरी और गिलोय के 1½ ली रस में 1 किग्रा घी डालकर पकाना चाहिए। जब केवल घी मात्र शेष रह जाए तब उसको उतार कर छान लें। इस घी को 5 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से अपच की समस्या तथा खांसी की समस्या से राहत मिलती है। कंटकारी के गुण अपच के समस्या से राहत दिलाने में मदद करते हैं।
★पेट दर्द में फायदेमंद कटेरी
अक्सर मसालेदार खाना खाने या असमय खाना खाने से पेट में गैस हो जाने पर पेट दर्द की समस्या होने लगती है। कटेरी के फलों के बीज निकाल कर उनको छाछ में डालें तथा उबालकर सुखा दें। फिर उनको रातभर मट्ठे में डुबोएं तथा दिन में सुखा लें। ऐसा 4-5 दिन तक करके उनको घी में तलकर खाने से पेट दर्द तथा पित्त संबंधी समस्याओं से राहत मिलती है।
★मूत्रकृच्छ्र या मूत्र संबंधी समस्याओं में फायदेमंद कटेरी
मूत्र संबंधी बीमारी में बहुत तरह की समस्याएं आती हैं, जैसे- मूत्र करते वक्त दर्द या जलन होना, मूत्र रुक-रुक कर आना, मूत्र कम होना आदि। कटेरी इस बीमारी में बहुत ही लाभकारी साबित होता है।
छोटी कटेरी के जड़ के चूर्ण में समान भाग में बड़ी कटेरी के जड़ का चूर्ण मिलाकर, 2 चम्मच दही के साथ, सात दिन तक खाने से पथरी, मूत्रकृच्छ्र (मूत्र त्याग में कठिनता) तथा जलोदर (पेट में जल की मात्रा अधिक होने के कारण सूजन) में लाभ होता है।
कटेरी के 10-20 मिली रस को मट्ठे में मिलाकर, कपड़े से छानकर पिलाने से मूत्रकृच्छ्र (पेशाब की रुकावट) में लाभ होता है।
★गर्भपात का खतरा करे कम कटेरी
कटेरी का औषधीय गुण गर्भपात के खतरे को कम करने में मदद करता है। छोटी कटेरी या बड़ी कटेरी की 10-20 ग्राम जड़ों को 2-4 ग्राम पिप्पली के साथ मिलाकर भैंस के दूध में पीस छानकर कुछ दिन तक रोज दो बार पिलाते रहने से गर्भपात का भय नहीं रहता और स्वस्थ शिशु का जन्म होता है।
★बुखार से दिलाये राहत कटेरी
बुखार के लक्षणों से कष्ट से निजात दिलाने में कटेरी का घरेलू उपाय लाभकारी होता है-
कटेरी की जड़ और गिलोय को समान मात्रा में मिलाकर काढ़ा बना लें। 10-20 मिली काढ़ा को सुबह शाम पिलाने से बुखार तथा पूरे शरीर का दर्द कम होता है।
कटेरी की जड़, सोंठ, बला-मूल, गोखरू तथा गुड़ को समभाग लेकर दूध में पकाकर, 20-40 मिली सुबह-शाम पीने से मल-मूत्र की रुकावट, बुखार और सूजन दूर होती है।
★हृदय की बीमारी में फायदेमंद कटेरी
कटेरी हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करती है इससे दिल की बीमारी होने की संभावना कम होती है। 1-2 ग्राम श्वेत कंटकारी के जड़ की त्वचा के चूर्ण का सेवन करने से हृदय की बीमारी कम होती है।
★दस्त रोके कटेरी
अगर ज्यादा मसालेदार खाना, पैकेज़्ड फूड या बाहर का खाना खा लेने के कारण दस्त है कि रूकने का नाम ही नहीं ले रहा तो कटेरी का घरेलू उपाय बहुत काम आयेगा।श्वेत कंटकारी के 1-2 ग्राम फल चूर्ण का सेवन तक्र (छाछ) के साथ करने से अतिसार में लाभ होता है।
★बवासीर या पाइल्स में फायदेमंद कटेरी
अगर ज्यादा मसालेदार, तीखा खाने के आदि है तो पाइल्स के बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। उसमें बवासीर का घरेलू उपाय बहुत ही फायदेमंद साबित होता है। श्वेत कंटकारी के फलों को कोशातकी के काढ़े में पकाकर प्रयोग करने से अर्श या पाइल्स में लाभ होता है।
★प्रसव-पीड़ा या लेबर पेन में लाभकारी कटेरी
कटेरी का औषधीय गुण लेबर पेन को कम करने में मदद करती है। 10-20 मिली श्वेत कंटकारी के जड़ का सेवन करने से प्रसव पीड़ा कम होता है।
★त्वचा संबंधी समस्याओं में फायदेमंद कटेरी
आजकल के प्रदूषण भरे वातावरण में त्वचा संबंधी रोग होने का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। हर कोई किसी न किसी त्वचा संबंधी परेशानी से ग्रस्त हैं। कटेरी इन सब परेशानियों को कम करने में मदद करती है।
श्वेत कंटकारी के जड़ को पीसकर लेप करने से कण्डू या खुजली, क्षत (कटना या छिलना) तथा अल्सर के घाव में लाभकारी होता है।
★गंजापन दूर करने में कटेरी के फायदे
बालों की समस्या में कटेरी का उपयोग फायदेमंद हो सकता है क्योंकि आयुर्वेद शास्त्रों में इसको बालों के लिए अच्छा बताया गया है।
★गले की सूजन को ठीक करने में कटेरी का इलाज लाभकारी
आप यदि गले की सूजन से परेशान है तो आपके लिए कटेरी का उपयोग फायदेमंद हो सकता है क्योंकि इसमें सूजन को कम करने के साथ -साथ कफ को भी शांत करने का गुण भी पाया जाता है।
★मंदाग्नि या अपच में कटेरी का सेवन फायदेमंद
मंदाग्नि होने से खाना ठीक से नहीं पचता है इस स्थिति में आपके लिए कटेरी का सेवन लाभकारी हो सकता है, क्योंकि कटेरी में आयुर्वेद के अनुसार दीपन और पाचन के गुण पाए जाते है जिससे ये मंदाग्नि में दूर कर खाना पचाने में मदद करती है।
★पेट के रोग में कटेरी के फायदे
पेट संबंधी समस्याओं में कटेरी का प्रयोग फायदेमंद होता है क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार कटेरी में दीपन और पाचन के गुण होते है जो कि पाचन शक्ति को अच्छा रखकर पेट संबंधी रोगों को ठीक करने सहायक होता है।
■कटेरी का उपयोगी भाग
आयुर्वेद में कटेरी के पञ्चाङ्ग, जड़, पत्ते, पुष्प, फल तथा बीज का प्रयोग औषधि के लिए किया जाता है।
◆कटेरी के पौधे का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए?
बीमारी के लिए कटेरी के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए कटेरी का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
चिकित्सक के परामर्श के अनुसार कटेरी का 20-50 मिली काढ़े का सेवन कर सकते हैं।
डिस्क्लेमर - उपयोग करने से पूर्व किसी चिकित्सक/वैद्य से परामर्श अवश्य लें, बीमारी की स्थिति के हिसाब से प्रयोग विधि और मात्रा अलग हो सकती है।